The art of public speaking in hindi | Bhashan

 The art of public speaking in hindi 
 कैसे बने अटल बिहारी वाजपेयी मंच के जादूगर

आज बात होगी The art of public speaking की और जब पब्लिक स्पीकिंग की बात आए तो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और मंच के जादूगर अटल बिहारी वाजपेयी को कौन भूल सकता है जिनकी भाषणकला का डंका पुरे विश्व में बजा पर ऐसा नहीं है कि अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा से ही मंच के जादूगर थे, वे अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत में भाषणकला में बेहद कमजोर थे, फिर कैसे हुआ ये चमत्कार, कैसे बने वे मंच के जादूगर, आखिर क्या थी उनकी वो तकनीक जिसके साथ अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी भाषणकला की यात्रा की शुरुआत की और धीरे धीरे वे इसके महारथी बन गये और मजे कि बात तो यह है कि आज राजनीति में मौजूद लगभग हर बड़े राजनेता इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और शुरुआत में पब्लिक स्पीकिंग में जीरो होने के बावजूद कुछ ही समय में वे अपनी भाषणकला को अद्भुत रूप से निखार भी ले रहे हैं और ये तकनीक इतनी आसान है कि आप पढेंगे तो सोच में पड़ जायेंगे कि इसका इस्तेमाल पहले क्यूँ नहीं किया, तो आइये समझते हैं उनकी इस शानदार तकनीक को


public speaking course
Public Speaker Atal Bihari Vajpayee

Public Speaking में किन चीजों से बचें

भाषणकला में माहिर बनने के लिए कई तरह की बातें हमें बताई जाती है जैसे आईने के सामने खड़े होकर बोलने का प्रयास करो या भाषण देने से पहले भाषण की जमकर प्रैक्टिस करो और हो सके तो इसे अपने मोबाइल से रिकॉर्ड करके सुनो कि कहाँ कहाँ गलतियाँ हुई या फिर मंच पर जाने से पहले अपने दिमाग को शांत रखने का प्रयास करो, इसके अलावा भी और कई सारे टिप्स, पर क्या आपको लगता है कि ये सब तरीके काम करते हैं और अगर नहीं करते तो आखिर क्यूँ नहीं करते, क्यूंकि इन तरीकों में आप कभी उस शक्ति का इस्तेमाल ही नहीं करते जो भाषणकला के लिए जरुरी है, आप में से कोई यह नहीं कह सकता कि जिस शक्ति का इस्तेमाल बड़े राजनेता अपनी भाषणकला को बेहतर बनाने के लिए करते हैं वो शक्ति आपके अंदर नहीं है क्यूंकि ईश्वर ने यह शक्ति हर किसी को दी है तो पहले इस शक्ति को समझो और फिर इसका इस्तेमाल करना शुरू करो, यदि यह शक्ति अटल बिहारी वाजपेयी को मंच का जादूगर बना सकती है तो आपको भी भाषणकला में निपुण जरुर बना सकती है, तो अब बड़े ध्यान से समझना इस तकनीक को और इसके इस्तेमाल को

 

Public  Speaking  fear क्यूँ होती है 

यह शक्ति है आपके अवचेतन मन की, अवचेतन मन मतलब सब कॉनसस माइंड की शक्ति, भाषण देने वक्त हमारे साथ क्या समस्याएं आती हैं या तो हम भाषण के दौरान कई लाइनें भूल जाते हैं या फिर सामने खड़ी भीड़ को देखकर हमारा दिमाग वैसे काम नहीं कर पाता जैसे कि सामान्य परिस्थितियों में करता है तो सारी समस्याएं हमारे दिमाग से पैदा होती है मतलब चेतन मन से, सोचो यदि हम चेतन मन के बजाय अवचेतन मन का इस्तेमाल करना शुरू कर दें तो क्या होगा, सारी समस्याएं खुद ब खुद ख़त्म हो जाएँगी, एक उदाहरण से समझाता हूँ, आप जब गाडी चलाना सीख रहे होते हैं तो हर चीज का ध्यान रखते हैं जैसे क्लच, गियर, ब्रेक पर गाड़ी चलाना सीख जाने के बाद क्या होता है, फिर आपके हाथ पैर अपने आप गियर और ब्रेक पर चलने लगते हैं, कभी सोचा है क्यूँ, क्यूंकि जब आप गाड़ी चलाना सीख रहे होते हैं उस वक्त आप अपने चेतन मन का इस्तेमाल करते हैं और सीख जाने के बाद अवचेतन मन का

कैसे करें Bhashan  का इस्तेमाल

अब समझो भाषणकला में निपुण बनने के लिए आपको अपने अवचेतन मन का इस्तेमाल कैसे करना है, आपका पूरा माइंड जिसके अंदर होता है कॉनसस माइंड और सब कॉनसस माइंड, मतलब चेतन मन और अवचेतन मन. जो भी चीजें आप देखते हैं, सुनते हैं या पढ़ते हैं वो एक डेटा या मेमोरी की तरह आपके अवचेतन मन में स्टोर होता है, अब बड़े ध्यान से समझो कि आप भाषण कैसे करते हो - अपने चेतन मन से और आपका चेतन मन इसके लिए डेटा या भाषण की लाइनें कहाँ से लेता है - आपके अवचेतन मन से, जहाँ भाषण की सारी लाइनें मेमोरी के रूप में स्टोर होती हैं, तो यदि आपके अवचेतन मन में वो सारी बातें जो आपको भाषण के दौरान बोलनी है वो एक मजबूत मेमोरी के रूप में स्टोर हो तो चाहे आपके मन में जितनी घबराहट हो, आपका भाषण वैसा अपने आप हो जाएगा जैसा आप चाहते हैं, दोस्तों शुरूआती दौर में भाषण के दौरान घबराहट होना नेचुरल है और यह सभी के साथ होता है पर इस घबराहट के बावजूद भी आप मंच से अच्छा भाषण करके उतरें यह मायने रखता है और ये तभी संभव है जब आप अपने अवचेतन मन का इस्तेमाल करें

 Public  Speaking  Skills  का इस्तेमाल करते वक्त इन बातों का ध्यान रखें

अब आपने ये समझ लिया कि आपकी मेमोरी में यदि सारी बातें फिट होंगी तो घबराहट और मंच के डर के बावजूद आपका भाषण खुद ब खुद अच्छा हो जाएगा जैसे गाड़ी चलाते वक्त आप किसी और सोच में डूबे रहते हैं और आपका पैर अपने आप गियर बदलते रहता है पर यहाँ सबसे बड़ा सवाल है कि आपके अवचेतन मन में मेमोरी स्ट्रोंग कैसे हो तो इसे करने के लिए भी आपको अटल बिहारी वाजपेयी के तकनीक का ही इस्तेमाल करना होगा. वाजपेयी जी देश में चल रहे मुद्दों को लगातार पढ़ते थे और उसपर चिंतन किया करते थे. वे हमेशा उन मुद्दों के समाधान के बारे में सोचते थे और अपने साथियों से भी चर्चा किया करते थे, आप ये काम अपने विधानसभा, लोकसभा या राज्य के मुद्दों को लेकर कर सकते हैं, एक बात और, राजनीतिक भाषणों की एक खासियत होती है कि चाहे मंच कोई भी हो भाषण हमेशा राजनीतिक मुद्दों के इर्दगिर्द ही घूमते हैं तो यदि सारे मुद्दों से संबंधित डेटा और बातें आपकी मेमोरी में पहले से ही स्टोर हों तो आपका काम बिलकुल आसान हो जाएगा और अपनी मेमोरी को स्ट्रोंग करने के सिर्फ दो ही तरीके हैं आपके पास, पहला अध्ययन और दूसरा उसपर लगातार चिंतन, तो लगातार अपने क्षेत्र के राजनीतिक मुद्दों पर अध्ययन करो, समाचारपत्रों को रोज गंभीरता से पढो, जरुरत पड़े तो गूगल का इस्तेमाल करो, मुद्दों से संबंधित यदि कोई डेटा मिले तो उसे अपने नोटबुक में नोट करो और ये काम लगातार करते रहो क्यूंकि हमारे अवचेतन मन की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वो एकबार सुनी हुई या पढ़ी हुई चीजों को याद नहीं रख पाता, अवचेतन मन में तभी कोई मेमोरी स्ट्रोंग हो पाती है जब वो बार-बार उसतक पहुंचे, तो एकबार इसका इस्तेमाल करना शुरू करो, फिर न तो मंच का डर आपको परेशान कर पायेगा और न ही घबराहट के कारण आप भाषण की लाइनें भूलेंगे और एक साल के भीतर आपकी भाषणकला में इतना बड़ा बदलाव आएगा कि आप खुद अचंभित रह जायेंगे         

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Pankaj Pandey


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