Youth Politics
दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी वाले देश और दुनिया के सबसे
युवा लोकतंत्रों में से एक होने के बावजूद जब भारतीय राजनीति का विश्लेषण हमारे सामने आता
है तो ऐसा लगता है कि युवाओं के आसपास घुमने वाली इस राजनीति की धुरी से युवा ही
नदारद हैं, हर पार्टी के मेनिफेस्टो में युवा शब्द तो खूब आते हैं पर संसद का
दरवाजे कभी युवाओं के लिए पूर्ण रूप से खुल नहीं पाते, नेताओं के लोकलुभावन नारों
में युवा तो होते हैं पर चुनावी राजनीति में युवाओं को भागीदारी आज भी यक्षप्रश्न ही
है, 65 प्रतिशत युवा आबादी वाला देश भारत आज भी संसद में युवा सदस्यों की संख्या 12
प्रतिशत के पार नहीं कर पाया है जो न केवल लोकतंत्र की प्रतिनिधित्वशीलता पर प्रश्नचिन्ह है, बल्कि हमारे देश
की राजनीति को घेरने वाली एक नकारात्मक कड़ी भी है.
Youth in Politics
भारतीय इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने “इंडिया आफ्टर गांधी” पुस्तक में तर्क
दिया है कि देश में केवल "50 प्रतिशत लोकतंत्र" है, जो व्यावहारिक चुनाव कराता है, लेकिन जब राजनेताओं
और राजनीतिक संस्थानों के कामकाज की बात आती है तो यह और भी कम हो जाता है, आजादी
से पहले से ही युवाओं ने कई सुधार आंदोलनों, सामाजिक आंदोलनों और विभिन्न सामाजिक हितों और दबाव समूहों
में भाग लेकर देश की राजनीतिक प्रक्रिया को सुलभ बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई है
हालाँकि, यह भागीदारी
प्रमुख रूप से अनौपचारिक ही रही है और भले ही युवा अपनी राजनीतिक राय व्यक्त करने
के लिए इंटरनेट और मास मीडिया का उपयोग करके स्थानीय सामुदायिक अभियानों, विरोध प्रदर्शनों
और याचिकाओं में भाग लेना जारी रखते हैं, लेकिन देश की प्रगति के लिए आवश्यक राजनैतिक भूमिका में आने
में पिछड़ जाते हैं और ऐसा नहीं है कि इसका कारण युवाओं की राजनीति में अरुचि है,
इसका प्रमुख कारण बड़े पैमाने पर भाई-भतीजावाद, राजनीति का अपराधीकरण, जाति की राजनीति और राजनीतिक व्यवस्था में व्याप्त लोगों का
युवाओं के प्रति नकारात्मक व्यवहार है पर क्या सच सिर्फ इतना ही है?
Politics as a Profession
हमारे अधिकांश संभावित युवा रूपी मानव संसाधन उच्च अध्ययन
और नौकरी की सुरक्षा के लिए विदेश जाने का विकल्प चुनते हैं, फिर स्थायी रूप से वहां
बस भी जाते हैं, शायद ही उनमें से कोई हो जो भारतीय राजनैतिक व्यवस्था में शामिल
होकर अपने ज्ञान और अनुभवों के आधार पर भारत के लिए योगदान देना चाहता हो, यद्यपि हमारे
पास कुछ युवा राजनेता हैं पर उनमें से अधिकांश राहुल गांधी, सचिन पायलट और
वरुण गांधी जैसे लोग हैं जो राजनीतिक परिदृश्य में इसलिए हैं क्योंकि वे प्रभावशाली
राजनीतिक परिवारों से हैं, इनलोगों के साथ राजनीति में बेहतर स्थिति सिर्फ इसलिए
नहीं बन पाती है क्यूंकि वे किसी राजनैतिक परिवार से आते हैं बल्कि यह स्थिति
इसलिए भी बन पाती है क्यूंकि उन्हें पूर्ण राजनीतिक प्रशिक्षण अपने परिवार से ही
मिल जाता है और इसी प्रशिक्षण के अभाव में हमारे युवा राजनीति की उन कूटनीतियों से
अनभिज्ञ रह जाते हैं जिसके बिना राजनीति में सफलता प्राप्त कर पाना दूर की कौड़ी बन
जाती है, यदि आप गौर से देखें तो पाएंगे कि भारत जैसे बड़े लोकतान्त्रिक देश में
शायद ही ऐसा कोई इंस्टिट्यूट या संस्थान हो जो युवाओं को व्यावहारिक राजनीति का
प्रशिक्षण देता हो और इस बड़े संसाधन अभाव का खामियाजा हमारे युवाओं को चाहे अनचाहे
चुकाना ही पड़ता है
How to engage youth in politics
किसी देश की राजनीति से केवल बुजुर्गों को जोड़ना और जोड़े
रखना महज एक रूढ़िवादी सोच ही तो है क्यूंकि कोई भी देश जो विकसित देशों के क्लब
में शामिल होना चाहता है, वो ऐसा कभी नहीं करेगा. ब्रिटेन में, टोनी ब्लेयर 58 साल की उम्र में
सेवानिवृत्त होते हैं, जबकि हमारे देश
में मुख्य पदों पर ज्यादातर 50 वर्ष से अधिक उम्र के राजनेताओं का कब्जा होता है, जिससे युवा पीढ़ी
के पास नेतृत्व संभालने के लिए न तो कोई आउटलेट होता है और न ही इसकी संभावना. युवा
सक्रिय रूप से आगे बढ़कर और अपने कारण की गतिशीलता को अर्थ देकर राजनीति के माध्यम
से दुनिया को बदलने की चाहत तो रखते हैं पर मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था उनके
संकल्पों पर कुठाराघात करने को तैयार खड़ी होती है क्यूंकि राजनीतिक पार्टियों में
उनके लिए यूथ विंग और स्टूडेंट विंग के अलावा कुछ भी नहीं होता, न तो मुख्य
राजनीतिक धारा में शामिल होने का मौका और न ही चुनावी राजनीति के लिए प्रयाप्त
संभावनाएँ. इस विषम परिस्थिति में पहला दायित्व तो राजनीतिक पार्टियों का ही बनता
है कि वे राजनीति को अधिक सुलभ बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएं और युवाओं के लिए राजनीति
के द्वार खोलें पर यदि ऐसा नहीं हो तो क्या किया जाए, यदि लगातार राजनीतिक
पार्टियाँ इसी तरह से इस विषय पर उदासीन खड़ी दिखे तो आखिर हमारे पास और क्या
विकल्प हो सकते हैं, यह भारतीय राजनीति के लिए एक गंभीर चिंतन का विषय है.
Importance of youth participation in politics
युवा नेता ऊर्जा और उत्साह को व्यक्त करते हैं और समकालीन
मुद्दों और समस्याओं से संबंधित अपने लिए और देश के लिए नीतियां बनाने में बेहद
प्रभावी हो सकते हैं. युवाओं द्वारा अधिक से अधिक इनोवेटिव विचार उत्पन्न किए जाते
हैं और वे यह चुनने के लिए जिम्मेदार होते हैं कि कौन सी सांस्कृतिक मान्यताएं
मानवता के लाभ के लिए काम करेगी और उनमें से कौन सी विश्वास प्रणाली हानिकारक हो
सकती है. एलजीबीटीक्यू समुदाय के आरक्षण, बलात्कार, महिला अधिकारों और अन्य अधिकारों के मामलों के
प्रति युवाओं द्वारा दिखाया गया असंतोष और आंदोलन हमारे देश और बड़े पैमाने पर दुनिया
के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में उनकी जागरूकता का एक उदाहरण है, मौका
मिलने पर वे देश की राजनीतिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए तैयार खड़े होंगे
क्यूंकि युवाओं की भागीदारी ही एकमात्र विकल्प है जो लोकतांत्रिक प्रणाली में सर्व
समावेश की संभावना को सुनिश्चित कर सकती है.
Youth and Politics
इसलिए अब समय आ गया है कि भारत इन विषयों पर गंभीरता से
मंथन करे और कुछ ठोस कदम उठाये जिससे युवाओं की राजनीति में पूर्णकालिक भागीदारी
सुनिश्चित की जा सके, जैसे संसद में युवाओं के लिए आरक्षण, स्कूलों और
विश्वविद्यालयों में राजनीतिक जागरूकता अभियान, युवा राजनेताओं को कौशल प्रशिक्षण, स्थानीय स्तर पर
युवा परिषदों का गठन और सामुदायिक विकास कार्यक्रमों के माध्यम से वोट डालने से
परे युवाओं की राजनीतिक भागीदारी का विस्तार, यदि भारतीय राजनीति ऐसी पहल करने को
तैयार हो तो शायद हमें भारत एक नये अवतार में दिखेगा जहां युवा प्रतिभा और अनुभवी
राजनेताओं का सही संतुलन राजनीति और देश के विकास की पूरी धारा ही बदल सकता है.
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